श्लोक - ६८७
कर्तव्यार्थपरिज्ञाता तत्कृतौ देशकालवित् ।
विमृश्य कथनीयार्थवक्ता स्याद् दूतसत्तम: ॥
Tamil Transliteration
Katanarindhu Kaalang Karudhi Itanarindhu
Enni Uraippaan Thalai.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | दौत्यम् |