श्लोक - ६४८
नानार्थानानुपूर्व्येण सग्रथ्य मधुरं वच: ।
प्रयुञ्जानस्य वचनं लोको गृह्णाति सादरम् ॥
Tamil Transliteration
Viraindhu Thozhilketkum Gnaalam Nirandhinidhu
Solludhal Vallaarp Perin.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | वाग्मित्वम् |