श्लोक - ६३४
सहेतुकं क्रियाकर्ता कर्तव्यार्थविमर्शक: ।
भावाविष्करणे धीर: सचिचश्रेष्ठ उच्यते ॥
Tamil Transliteration
Theridhalum Therndhu Seyalum Orudhalaiyaach
Chollalum Valladhu Amaichchu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | अमात्य: |