श्लोक - ६२८
अनादृत्य सुखं प्राप्तं 'दु:खं स्वाभाविकं नृणाम्' ।
इति भावयतो दु:खं स्वप्रयत्नान्न जायते ॥
Tamil Transliteration
Inpam Vizhaiyaan Itumpai Iyalpenpaan
Thunpam Urudhal Ilan.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | औत्सुक्यम् |