श्लोक - ६१६
सम्पदं सर्वदा दद्यात् व्यवसायो महीभुजाम् ।
दारिद्र्यं तस्य जनयेत् व्यवसायविहीनता ॥
Tamil Transliteration
Muyarsi Thiruvinai Aakkum Muyatrinmai
Inmai Pukuththi Vitum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | प्रयत्नशीलत्वम् |