श्लोक - ५८३
स शत्रुवशमापन्न: पार्थिव: क्षयमाप्नुयात् ।
बुध्वापि विषयान् चारौ: य: पूर्वं न विचारयेत् ॥
Tamil Transliteration
Otrinaan Otrip Poruldheriyaa Mannavan
Kotrang Kolakkitandhadhu Il.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | चारप्रेषणम् |