श्लोक - ५७८
दाक्षिण्यगुणशीलस्य गच्छतो न्याय्यवर्त्मनि ।
पार्थिवस्य वशे कृत्स्नं जगद्वर्तेत सुस्थिरम् ॥
Tamil Transliteration
Karumam Sidhaiyaamal Kannota Vallaarkku
Urimai Utaiththiv Vulaku.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | दाक्षिण्यम् |