श्लोक - ५७७
दाक्षिण्यवर्जिता मर्त्या नेत्रहीना मता भुवि ।
केचिन्नयनवन्तोऽपि सन्ति दाक्षिण्यसंयुता: ॥
Tamil Transliteration
Kannottam Illavar Kannilar Kannutaiyaar
Kannottam Inmaiyum Il.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | दाक्षिण्यम् |