श्लोक - ५७५
नेत्रस्यालंकरणं पुंसां दाक्षिण्यगुण इष्यते ।
तद्विहीनं तु नयनं धत्ते व्रणसमानताम् ॥
Tamil Transliteration
Kannirku Anikalam Kannottam Aqdhindrel
Punnendru Unarap Patum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | दाक्षिण्यम् |