श्लोक - ५७४
दाक्षिण्यगुणहीनस्य किं नेत्राभ्यां प्रयोजनम् ।
ते ह्यलंकाररूपेण लसत: केवलं मुखे ॥
Tamil Transliteration
Ulapol Mukaththevan Seyyum Alavinaal
Kannottam Illaadha Kan.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | दाक्षिण्यम् |