श्लोक - ५६६
दाक्षिण्यगुणहीनस्य कटुवाक्यप्रयोगिण: ।
भूपस्य निखिलं वित्तमस्थिरं क्षीयते क्षणात् ॥
Tamil Transliteration
Katunjollan Kannilan Aayin Netunjelvam
Neetindri Aange Ketum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | निर्भयत्वन् |