श्लोक - ५५५
अधर्मपालनोद्भूतक्लेशभाजां नुणां भुवि ।
अश्रुपात: श्रियं राज्ञो नाशयेदायुधात्मना ॥
Tamil Transliteration
Allarpattu Aatraadhu Azhudhakan Neerandre
Selvaththaith Theykkum Patai.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | अनीत्यापालनम् |