श्लोक - ५३५
प्रथमं विपदं प्राप्तां विस्मृत्या त्वनिवारयन् ।
खेदे समीपमायाते पश्चादुद्विजते नर: ॥
Tamil Transliteration
Munnurak Kaavaadhu Izhukkiyaan Thanpizhai
Pinnooru Irangi Vitum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | अविस्मरणम् |