श्लोक - ५३४
बाह्यदुर्गैर्नास्ति लाभो भये तु हृदये स्थिते ।
स्थितोऽपि विभवो व्यर्थो यदि स्याद्विस्मृतिर्नरे ॥
Tamil Transliteration
Achcha Mutaiyaarkku Aranillai Aangillai
Pochchaap Putaiyaarkku Nanku.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | अविस्मरणम् |