श्लोक - ५३२
नरस्य नित्यदारिद्र्यं यथा बुद्धिं विनाशयेत् ।
विस्मृति: समये तद्वनाशयेत् प्रथितं यशा: ॥
Tamil Transliteration
Pochchaappuk Kollum Pukazhai Arivinai
Nichcha Nirappuk Kon Raangu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
---|---|
Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | अविस्मरणम् |