श्लोक - ५३१
सुखभोगासक्ततया कर्तव्यार्थस्य विस्मृति: ।
चण्डकोपोद्भवानर्थात्, अधिकानिष्टदा भवेत् ॥
Tamil Transliteration
Irandha Vekuliyin Theedhe Sirandha
Uvakai Makizhchchiyir Sorvu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | अविस्मरणम् |