श्लोक - ५१८
स्वकार्यसाधनार्हश्चेत् काश्चित्तस्मिन् क्रियाभरम् ।
निक्षिप्य राज्ञा दातव्यं स्वातन्त्र्यं कार्यसाधने ॥
Tamil Transliteration
Vinaik Kurimai Naatiya Pindrai Avanai
Adharkuriya Naakach Cheyal.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | विमृश्य कार्यकरणम |