श्लोक - ५०
धर्ममार्गमनुल्लङ्घय गृहस्थो यदि जीवति ।
देववत्पूजित: सोऽत्र देवलोकं ततो व्रजेत् ॥
Tamil Transliteration
Vaiyaththul Vaazhvaangu Vaazhpavan Vaanu?ryum
Theyvaththul Vaikkap Patum.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | गार्हस्थ्यम् |