श्लोक - ४९
स एव धर्मशब्दार्थो यद्धि गार्हस्थ्यजीवनम् ।
गृहस्थधर्म एवात्र धर्मशब्देन कथ्यते ॥
Tamil Transliteration
Aran Enap Pattadhe Ilvaazhkkai Aqdhum
Piranpazhippa Thillaayin Nandru.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | गार्हस्थ्यम् |