श्लोक - ४९७
विमृश्य विविधोपायान् स्थले युक्ततमे वरे ।
कार्यमाचरतो राज्ञ: चित्तधैर्यमलं जये ॥
Tamil Transliteration
Anjaamai Allaal Thunaiventaa Enjaamai
Enni Itaththaal Seyin.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 50 |