श्लोक - ४९५
अगाधसलिलावासो नक्न: सर्वान् जयेद् ध्रुवम् ।
स एव तीरमापन्नो हन्यते दुर्बलैरपि ॥
Tamil Transliteration
Netumpunalul Vellum Mudhalai Atumpunalin
Neengin Adhanaip Pira.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
---|---|
Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 50 |