श्लोक - ४६५
कालं देशं बलं शत्रोरज्ञात्वा समराङ्गणम् ।
प्रविशन् पार्थिव: शत्रुवर्धक: स्यान्न घातक: ॥
Tamil Transliteration
Vakaiyarach Choozhaa Thezhudhal Pakaivaraip
Paaththip Patuppadho Raaru.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 47 |