श्लोक - ४५७
प्रणिनां चित्तसंशुद्धया सम्पत् सञ्जायते ध्रुवम् ।
सत्साङ्गत्यान्मन:शुद्धया सह कीर्तिरपि ध्रुवा ॥
Tamil Transliteration
Mananalam Mannuyirk Kaakkam Inanalam
Ellaap Pukazhum Tharum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 46 |