श्लोक - ४४
अपवादभयाद्वित्तं सम्पाद्य सकलै: सह ।
भुञ्जानस्य गृहस्थास्य निर्दुष्टं जीवनं भवेत् ॥
Tamil Transliteration
Pazhiyanjip Paaththoon Utaiththaayin Vaazhkkai
Vazhiyenjal Egngnaandrum Il.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | गार्हस्थ्यम् |