श्लोक - ४२७
पूर्वं भाविफलं ज्ञातुं समर्था ज्ञानिनो मता: ।
तद् ज्ञातुमसमर्थास्तु मन्तव्या ज्ञानवर्जिता: ॥
Tamil Transliteration
Arivutaiyaar Aava Tharivaar Arivilaar
Aqdhari Kallaa Thavar.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 43 |