श्लोक - ४१८
शास्त्रश्रवणमात्रेण श्रोत्रं भवति सार्थकम् ।
ग्राहकं त्वन्यशब्दानां श्रोत्रं बाधिर्यवन्मतम् ॥
Tamil Transliteration
Ketpinung Kelaath Thakaiyave Kelviyaal
Thotkap Pataadha Sevi.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 42 |