श्लोक - ४१२
श्रोत्रं श्रवणरूपान्नविहीनं स्याद्यदा तदा ।
देयं देहस्य चाप्यन्नं श्रोत्राभावे कयं श्रुति ॥
Tamil Transliteration
Sevikkuna Villaadha Pozhdhu Siridhu
Vayitrukkum Eeyap Patum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 42 |