श्लोक - ४००
विद्याधनं स्थिरं श्रेष्ठमेकमेव धनं भवेत् ।
धनान्यन्यान्यस्थिराणि वस्तुतो न धनानि हि ॥
Tamil Transliteration
Ketil Vizhuchchelvam Kalvi Yoruvarku
Maatalla Matrai Yavai.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 40 |