श्लोक - ३९३
चक्षुष्मन्तस्त एव स्यु: ज्ञानचक्षुर्युतास्तु ये ।
इतरेषामुभे नेत्रे व्रणे स्यातां मुखोत्थिते ॥
Tamil Transliteration
Kannutaiyar Enpavar Katror Mukaththirantu
Punnutaiyar Kallaa Thavar.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 40 |