श्लोक - ३९२
न्यायव्याकरणाख्ये द्वे शास्त्रे मुख्ये नृणामिह ।
उभे हि चक्षुषी स्यातामिति सद्भिरुदीर्यते ॥
Tamil Transliteration
Ennenpa Enai Ezhuththenpa Ivvirantum
Kannenpa Vaazhum Uyirkku.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
---|---|
Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 40 |