श्लोक - ३७
शिबिकावाहकं हष्टवा तत्रत्यञ्च समक्षत: ।
धर्मप्रभावे सुज्ञेये कुत: शास्त्रं कुत: श्रुति: ॥
Tamil Transliteration
Araththaaru Ithuvena Ventaa Sivikai
Poruththaanotu Oorndhaan Itai.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
---|---|
Chapter Group | अधिकार 001 to 010 |
chapter | धर्मवैशिष्ट्यम् |