श्लोक - ३७०
सदा दवीयसीमाशां यो वै जयति सर्वदा।
निर्विकारां तथा नित्यं मुक्तिं सद्य: स विन्दति॥
Tamil Transliteration
Aaraa Iyarkai Avaaneeppin Annilaiye
Peraa Iyarkai Tharum.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | निराशा |