श्लोक - ३६७
सर्वशाविजये प्राप्ते कायशोषण मन्तरा।
लभ्यते जन्मराहित्यं सर्वो धर्म: कृतो भवेत्॥
Tamil Transliteration
Avaavinai Aatra Aruppin Thavaavinai
Thaanventu Maatraan Varum.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | निराशा |