श्लोक - ३५७
श्रुतार्थस्य परामर्शात् तत्त्वमाघं विजानत:।
जन्मास्य पुनरस्तीति न मन्तव्यं कदाचन॥
Tamil Transliteration
Orththullam Ulladhu Unarin Orudhalaiyaap
Perththulla Ventaa Pirappu.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | तत्वज्ञानम् |