श्लोक - ३४७
ममकारहंकृतिभ्यां विमुक्तो यो न जायते।
दु:खान्यपि न मुञ्चन्ति सर्वदा तं नराधमम्॥
Tamil Transliteration
Patri Vitaaa Itumpaikal Patrinaip
Patri Vitaaa Thavarkku.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | सन्यास: |