श्लोक - ३३३
अस्थिरं सर्वदा भाग्यं तद्भाग्यं यदि लभ्यते।
सद्यस्तेन स्थिरा धर्मा: कर्तव्या मोक्षमिच्छता॥
Tamil Transliteration
Arkaa Iyalpitruch Chelvam Adhupetraal
Arkupa Aange Seyal.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | unknown 34 |