श्लोक - ३२८
जीवनां हत्यया श्रेष्ठं भाग्यं कामं भवेद् भॄशम्।
वधमूलगातं भाग्यं सन्त: पश्यन्ति गार्हितम्॥
Tamil Transliteration
Nandraakum Aakkam Peridheninum Saandrorkkuk
Kondraakum Aakkang Katai.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | अवध: |