श्लोक - ३१७
सर्वत्र सर्वदा किञ्चिदपि दु:खप्रदायकम्।
बुद्धिपूर्वे न कर्तव्यं स धर्म: परमो मत:॥
Tamil Transliteration
Enaiththaanum Egngnaandrum Yaarkkum Manaththaanaam
Maanaasey Yaamai Thalai.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | अपकारत्याग: |