श्लोक - ३१४
उपकृत्यापि श्त्रूणा मुपकारापकारयो:।
विस्मृति: साधुभिर्दत्तं दण्डनं स्याद्विरोधिषु॥
Tamil Transliteration
Innaasey Thaarai Oruththal Avarnaana
Nannayanj Cheydhu Vital.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | अपकारत्याग: |