श्लोक - २९१
वचनेन प्रयुक्तेन कस्यचित् मात्रयाऽपि चेत्।
दु:खानुत्पादनं लोके सत्यलक्षणमुच्यते॥
Tamil Transliteration
Vaaimai Enappatuvadhu Yaadhenin Yaadhondrum
Theemai Ilaadha Solal.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | सत्यवचनम् |