श्लोक - २८८
कृततत्वविचारणां हृदये यतिधर्मवत्।
अभ्यस्त चौर्य विद्यानां चित्ते स्याद्वञ्चना स्थिरा॥
Tamil Transliteration
Alavarindhaar Nenjath Tharampola Nirkum
Kalavarindhaar Nenjil Karavu.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | चौर्यनिषेध: |