श्लोक - २७
रूपगान्धरसादीनां तन्मात्राणां विधां भुवि ।
जानाति य: प्रपञ्चोऽयं वशे तस्य भविष्यति ॥
Tamil Transliteration
Suvaioli Ooruosai Naatramendru Aindhin
Vakaidherivaan Katte Ulaku.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 001 to 010 |
chapter | यतिवैभवम् |