श्लोक - २५७
मांसां न भक्षयेत् प्राज्ञ:, क्रियमाणे विमर्शने।
व्रणो हि प्राणिनां मांसमिति ज्ञानं भवेत् यत:॥
Tamil Transliteration
Unnaamai Ventum Pulaaal Piridhondran
Punnadhu Unarvaarp Perin.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | मांसवर्जनम् |