श्लोक - २१९
लोकोपकारिचित्तस्य दारिद्र्यमिदमुच्यते।
न शक्नोम्यधिकं दांतु दारुद्र्ययेति यन्मतम्॥
Tamil Transliteration
Nayanutaiyaan Nalkoorndhaa Naadhal Seyumneera
Seyyaadhu Amaikalaa Vaaru.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | लोकोपकारिता |