श्लोक - १८४
प्रत्यक्षे दूष्यतां सम्यक् विना दाक्षिण्यमेव वा ।
परिणाममनालोच्य परोक्षे न तु दूषयेत् ॥
Tamil Transliteration
Kannindru Kannarach Chollinum Sollarka
Munnindru Pinnokkaach Chol.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | परोक्षनिन्दावर्जनम् |