श्लोक - १८२
परोक्षे दूषयित्वा या प्रत्यक्षे कपटस्तुति: ।
धर्महानेरधर्मस्य करणात् पापदैव सा ॥
Tamil Transliteration
Aranazheei Allavai Seydhalin Theedhe
Puranazheeip Poiththu Nakai.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | परोक्षनिन्दावर्जनम् |