श्लोक - १५१
धारणात् खनकस्यापि धरण्या इव नि:समा ।
स्वापराधिषु या क्षान्ति: स धर्म: परमो नृणाम् ॥
Tamil Transliteration
Akazhvaaraith Thaangum Nilampolath Thammai
Ikazhvaarp Poruththal Thalai.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | क्षमा |