श्लोक - १५०
त्यक्त्वा धर्म मधर्मणां कर्ता चापि विशेषत: ।
श्लाघ्य एव भवेदत्र परस्त्रीविमुखो यदि ॥
Tamil Transliteration
Aranvaraiyaan Alla Seyinum Piranvaraiyaal
Penmai Nayavaamai Nandru.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | परदारपराङ्मुखता |