श्लोक - १३५

श्लोक 135
श्लोक #१३५
असूयाविष्टमनुजो यथा वित्तं न विन्दति ।
तथा कुलाचारहीनो लभते न समुन्नतिम् ॥

Tamil Transliteration
Azhukkaa Rutaiyaankan Aakkampondru Illai
Ozhukka Milaankan Uyarvu.

Sectionभाग–१: धर्मकाण्ड
Chapter Groupअधिकार 011 to 020
chapterसदाचारसंपत्ति: