श्लोक - १३२६
कामुकस्य तु विश्लेष: संश्लेषादपि मोदद: ।
भुक्तं जीर्ण सुखं दद्यात् यथा वै भाविभोजनात् ॥
Tamil Transliteration
Unalinum Untadhu Aralinidhu Kaamam
Punardhalin Ootal Inidhu.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | विप्रलम्भसुखम् |